इकतीस जुलाई को है पुण्य तिथि
वाराणसी –
नटराज की नगरी काशी का संगीत से काफी गहरा लगाव रहा है। गीत संगीत और नृत्य के पुरोधाओं का जहां अद्भुत संगम देखने को मिलता है वही कलाकारों का सम्मान और और उनकी यादें भी सुरमई शाम के साथ बीती हुई नजर आती है। उसी क्रम में पर्दे के पीछे तमाम कलाकारों को सुरीले गीतों के साथ आवाज से सजाने वाले पार्श्व गायक स्वर्गीय मोहम्मद रफी को काशी की प्राचीन संस्था स्वरांजलि के शौकिया कलाकारों ने एक सुरमई श्रद्धांजलि अर्पित किया।
औरंगाबाद स्थित दी मड हाउस में आयोजित इस कार्यक्रम के संयोजक संजय गुप्ता ने बताया कि हम लोगों में से कोई भी प्रोफेशनल कलाकार नहीं है सभी शौकिया है और हर उस कलाकार की कद्र करते हैं और उसे श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिसकी आवाज आज भी अमर है।
कार्यक्रम में तकनीकी रूप से आधुनिक गीतों के ट्रैक का संयोजन करने वाले मुकेश मेहरोत्रा व गौरव चौरसिया ने बताया कि रफी साहब की वह कर्ण प्रिय आवाज है जिस पर संगीत को आज भी नाज़ है। शाम 6:00 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में करीब चार घंटे तक स्वर्गीय मोहम्मद रफी के द्वारा गाए हुए एकल व युगल गीतों की प्रस्तुति की गई ।
जिसमें अनूप उपाध्याय ,यशवंत भारद्वाज ,श्याम सुंदर गोयल ,विनीत श्रीवास्तव रितु वर्मा,श्याम बूबना,पवन जी गुप्ता , राजेश दीक्षित, संजय बुबना,आदि कलाकारों ने अपनी आवाज से श्रोताओं का मन मोहा।
कार्यक्रम का संचालन आलोक मालवीय ने किया।