सावन मास के शिवरात्रि पर बुधवार को अलसुबह से ही श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक और दर्शन पूजन के लिए शिवभक्तों और कावड़ियों का सैलाब उमड़ रहा है।

वाराणसी-

सावन मास के शिवरात्रि पर बुधवार को अलसुबह से ही श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक और दर्शन पूजन के लिए शिवभक्तों और कावड़ियों का सैलाब उमड़ रहा है। भोर में दरबार में मंगलाआरती के बाद मंदिर का पट खुलते ही दर्शन पूजन का अनवरत सिलसिला शुरू हो गया है।

बताते चले सनातन पंचांग में हर साल में 12 शिवरात्रि होती हैं, लेकिन इनमें से दो शिवरात्रि का खास महत्व दिया जाता है। इनमें सबसे प्रमुख फाल्गुन मास की शिवरात्रि मानी जाती है, जिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है।

वहीं, दूसरी महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन की मानी जाती है। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि को शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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