पीएम श्री राजकीय क्वींस इण्टर कॉलेज वाराणसी के विवेकानन्द सभागार में दिनांक-01. 09.2025 को परिषदीय परीक्षा-2025 में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले कक्षा-10 व 12 के छात्रों के सम्मान में द्वितीय प्रतिभा सम्मान व दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ० दया शंकर मिश्र ‘दयालु’, मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आयुष मंत्रालय उ०प्र० सरकार, अतिविशिष्ट अतिथि व्योमेश शुक्ल, प्रसिद्ध रंगकर्मी, वरिष्ठ साहित्यकार, प्रधानमंत्री काशी नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, डॉ० रामानन्द दीक्षित ‘सरल’, पूर्व प्रधानाचार्य, रा०क्वींस इ०का० वाराणसी एवं विद्यालय के प्रधानाचार्य, सुमीत कुमार श्रीवास्तव द्वारा संयुक्त रूप से माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर हुआ।

इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा वाणी वंदना एवं अतिथि स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।समारोह में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले कक्षा 10 व 12 के 10 एवं 15 कुल 25 छात्रों को उनके अभिभावकों के साथ सम्मानित किया गया। हाईस्कूल के अनिरूद्ध यादव, अमन भारद्वाज एवं विवके कुमार तथा इण्टरमीडिएट के सूरज यादव, गणपति गुप्ता एवं अतुल कुमार ने क्रमशः स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किये।

मुख्य अतिथि डॉ० दया शंकर मिश्र ‘दयालु’, मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आयुष मंत्रालय उ०प्र० सरकार ने अपने सम्बोधन में कहा- “हम अपने गौरवमयी अत्तीत को याद करें तो निश्चित ही हम वर्तमान में स्वयं को एवं अपने इन संस्थानो को पुनः प्राचीन गौरव एवं ज्ञानमय वैभव वापस दिला सकते हैं।प्रत्येक छात्र के भीतर असीमित सम्भावनाएं छिपी हुयी हैं और अवसरों की भी कोई कमी नहीं है।


आवश्यकता है स्वयं को जानकर स्वप्न के पीछे तेजी से भागते रहने की जब तक उसे पा न जायें।”अतिविशिष्ट अतिथि व्योमेश शुक्ल, प्रसिद्ध रंगकर्मी, वरिष्ठ साहित्यकार, प्रधानमंत्री काशी नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, जो विद्यालय के पुराछात्र भी रहे, ने अपने सम्बोधन में कहा- बुद्ध के उपदेश का अनुसरण करते हुए प्रत्येक विद्यार्थी को “अप्पदीपो भव” की तरह दीप बनकर जलने के लिए तत्पर होना होगा।
यद्यपि जीवन में निर्भीकता परमावश्यक है, परन्तु छात्र में संकोच का भय अवश्य बना रहना चाहिए। यही डर उसे निर्भीक जीवन जीने के लिए तैयार करेगा। शिक्षा की जब-जब जहाँ भी बात की जायेगी यह क्वींस कॉलेज उसमें अवश्य सम्मिलित होगा, यही इस प्राचीनतम शिक्षण संस्था का गौरव है और हमें इसकी सुदीर्घ गौरव परम्परा की मशाल थामे आगे बढ़ना है।

हमारा कोई भी दुराचरण इसकी कीर्ति मशाल की अखण्ड ज्योति को हिलाने न पाये, इसका हमे ध्यान रखना होगा।”विशिष्ट अतिथि डॉ० रामानन्द दीक्षित ‘सरल’, पूर्व प्रधानाचार्य, रा०क्वींस इ०का० वाराणसी ने अपने सम्बोधन में कहा-” शिक्षक को अपने विद्यार्थी पर गर्व का अनुभव होता है, जब वह अपने कार्य से लोक में प्रतिष्ठा पाता है और लोक सेवा को अपना ध्येय बनाता है।
ऐसे ही इस विद्यालय का मेरा एक विद्यार्थी-व्योमेश शुक्ल आज इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान है। यह मेरे लिए गर्व का विषय है। कोयला और हीरा दोनों एक समान हैं, बस जिस कोयले ने ज्यादा ताप सहा वही हीरा बन गया-जीवन में परिश्रम की तपस्या के लिए जो तैयार है वही कालान्तर में हीरा बनेगा और दूसरों को गौरव प्रदान करेगा।

डॉ० रामानन्द दीक्षित जी द्वारा हाईस्कूल एवं इण्टर के सर्वोच्च अंक प्राप्त अनिरूद्ध यादव और सूरज यादव को रू0 501 का अतिरिक्त नकद पुरस्कार भी प्रदान किया गया।विद्यालय के प्रधानाचार्य, सुमीत कुमार श्रीवास्तव ने अपने समापन भाषण में कहा कि ” ऐसे ही प्रतिभावान् परिश्रमी छात्रों के बल पर हम निश्चित रूप से इस प्रकार के समावेशी प्रयास से इस गरिमामयी संस्थान की गौरवमयी परम्परा को समृद्ध करेंगे।
कार्यक्रम में डॉ० शुभा श्रीवास्वत, डॉ० विजय भारतीय सिंह, सुमी मिश्रा, निवेदिता सिंह, डॉ० मुनीब चन्द्र मौर्य, राजेश उपाध्याय, मिथिलेश कुमार पाण्डेय, मनीष कुमार त्रिपाठी, अवनीन्द्र कुमार सिंह, हिमांशु तिवारी एवं अन्य विद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
