रक्षाबंधन 2025 पर पूरा दिन बंधेगी राखी, न होगी भद्रा ना पंचक का प्रभाव, शुभ मुहूर्त बदलेगा किस्मत

बहन भाई के परस्पर प्रेम के पर्व में हमेशा भद्रा और पंचक का साया मंडराता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है।.

वाराणसी

बहन और भाई के प्रेम संबंधों को और मजबूत करके सुरक्षा की भावना जागृत करने वाला पर्व रक्षाबंधन 9 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन पर्व पर बहाने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र और राखी बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं।

बहन भाई के परस्पर प्रेम के पर्व में हमेशा भद्रा और पंचक का साया मंडराता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है. क्योंकि, 29 साल बाद रक्षाबंधन के पर्व पर ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है, जो न सिर्फ ग्रहों की चाल के हिसाब से बहुत उत्तम है, बल्कि इस दिन न पंचक है और ना ही भद्रा.यानी लंबे वक्त के बाद ऐसा होगा कि रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए कोई वक्त निर्धारित नहीं होगा. आप सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कभी भी रक्षाबंधन का पर्व मना सकेंगे।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष और काशी विद्वत परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ के मंत्री प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि रक्षाबंधन प्रति वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है.इस वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 9 अगस्त 2025, शनिवार को हो रही है. अतः 9 अगस्त को ही पूर्णिमा के शुभकाल में रक्षाबंधन का धार्मिक एवं सामाजिक कार्य पूर्ण करते हुए भाई बहन के एक दूसरे के योग क्षेम को वहन करने के दृढ़ संकल्प को धार्मिक विधि विधान से पूर्ण करना चाहिए।

इस वर्ष पूर्णिमा 8 अगस्त को अपराह्न में लगभग 1:42 से आरंभ होकर 9 अगस्त को अपराह्न 1:24 के आसन्न तक रह रही है. रक्षाबंधन में संप्राप्ते श्रावणस्यान्ते पौर्णमास्यां दिनोदये, के अनुसार भद्रा से रहित पूर्णिमा उदयकाल व्यापिनी ग्राह्य होती है. इस वर्ष भद्रा रात्रि काल में ही समाप्त हो जा रही है. इसलिए शनिवार 9 अगस्त को प्रातः काल से आरम्भ कर सम्पूर्ण दिन पर्यंत कभी भी रक्षाबंधन करना शास्त्रोचित है।.

उन्होंने बताया कि नियमानुसार प्रातः काल स्नानादि क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख शुद्ध आसन पर बैठ जाना चाहिए तथा बहन द्वारा रोली अक्षत पुष्पमाला आदि से भाई का पूजन, सम्मान करके- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः॥ तेन त्वाम प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ मंत्र पढ़ते हुए उनके दाहिने हाथ में रक्षाबंधन करना चाहिए. रक्षाबंधन करवाते समय हाथ में कुछ द्रव्य अवश्य रखना चाहिए. क्योंकि, खाली हाथ रक्षाबंधन करने से उसका पुण्य प्राप्त नहीं होता है.वही इस बारे में संपूर्ण ने संकेत यूनिवर्सिटी से जुड़े ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि बरसों बाद ऐसा शुभ संयोग बना है और रक्षाबंधन पर भद्रा का साया और पंचक बाधा नहीं बनेंगे।

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