वाराणसी में बिना जीएसटी पंजीयन झूला-सर्कस चलाना पड़ेगा भारी, मनोरंजन प्रभारी अर्पिता राय ने दी चेतावनी

मनोरंजन कर समाप्त होने के बाद अब सिनेमा, झूले, स्टेज शो, सर्कस और प्रदर्शनी जैसे तमाम मनोरंजन साधनों की निगरानी जीएसटी विभाग के जिम्मे आ गई है। इस व्यवस्था के तहत अस्थायी आयोजनों के लिए आयोजकों को आयोजन से कम से कम पांच दिन पहले कैजुअल टैक्सपेयर के रूप में पंजीयन लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

हालांकि, पंजीयन से पूर्व जिला प्रशासन की अनुमति भी जरूरी होगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 20 हजार रुपये तक का जुर्माना और अन्य दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है।काशी में कभी थे 35 सिनेमा हाल, अब बचे सिर्फ चार एक समय काशी में लगभग 35 सिंगल स्क्रीन सिनेमा हाल थे, लेकिन वर्तमान में सिर्फ चार ही सक्रिय हैं। इनमें आनंद मंदिर, गंगा पैलेस (पिशाचमोचन), भागवानी (कछवां रोड) और सिनेमा क्लब (बरेका) शामिल हैं। इसके अलावा शहर में चार मल्टीप्लेक्स—आईपी सिगरा, आईपी विजया, पीडीआर और जेएचवी—भी संचालित हो रहे हैं। वहीं, दो ट्रैवलिंग सिनेमा भी अभी सक्रिय हैं, जो छोटू महाराज ग्रुप द्वारा मढ़ौली और बाबतपुर क्षेत्रों में संचालित किए जा रहे हैं।

राज्य कर विभाग की सहायक आयुक्त और मनोरंजन प्रभारी अर्पिता राय ने बताया कि सरकार द्वारा पुराने बंद सिनेमाघरों को पुनः शुरू करने और नए मल्टीप्लेक्स खोलने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस दिशा में यदि कोई व्यापारी आगे आता है तो उसे नीति के तहत हरसंभव मदद दी जाएगी।

झूले, स्टेज शो, प्रदर्शनी, डिस्को के लिए मिल रहा टेंपरेरी पंजीयन सहायक आयुक्त ने बताया कि झूला, स्टेज शो, डिस्को और प्रदर्शनी जैसे अस्थायी मनोरंजन आयोजनों के लिए टेंपरेरी जीएसटी पंजीयन की व्यवस्था है। इसके लिए मामूली एडवांस टैक्स जमा करना होता है, जिसका आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) कार्यक्रम समाप्त होने के बाद लिया जा सकता है। अवैध रूप से आयोजन करने वालों पर ₹20,000 का जुर्माना और अन्य सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी आयोजन से पहले नियमों के अनुसार टेंपरेरी जीएसटी पंजीकरण अवश्य कराएं।

नियम तोड़ने पर होगी सख्त कार्रवाई*विभाग ने स्पष्ट किया है कि बिना पंजीयन के या प्रशासनिक अनुमति के बिना आयोजित किसी भी कार्यक्रम पर कार्रवाई निश्चित है। ऐसे में सभी आयोजकों से आग्रह है कि वे समय से जीएसटी पंजीयन कराकर ही आयोजन करें, जिससे किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही से बचा जा सके।

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