भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा एफडी (Fixed Deposit) ब्याज दरों में की गई हालिया कटौती का मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में लगातार की गई तीन कटौतियाँ हैं। रेपो रेट में कमी के चलते बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी अधिक हो जाती है और बैंकों की फंडिंग लागत घटती है, जिससे वे एफडी पर ब्याज दरें घटाते हैं।

SBI की संशोधित एफडी ब्याज दरें (15 जुलाई, 2025 से लागू):

🧍 सामान्य नागरिकों के लिए:

एफडी अवधिपुरानी ब्याज दरनई ब्याज दर
46 से 179 दिन5.05%4.90%
180 से 210 दिन5.80%5.65%
211 दिन से < 1 वर्ष6.05%5.90%

👴 वरिष्ठ नागरिकों के लिए:

एफडी अवधिपुरानी ब्याज दरनई ब्याज दर
46 से 179 दिन5.55%5.40%
180 से 210 दिन6.30%6.15%
211 दिन से < 1 वर्ष6.55%6.40%

इसके प्रभाव:

  • छोटे निवेशकों और पेंशनधारकों पर असर: वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर लोगों के लिए यह कटौती आय में कमी लाएगी, क्योंकि वे एफडी को एक सुरक्षित आय के स्रोत के रूप में देखते हैं।
  • विकल्प की तलाश जरूरी: ऐसे समय में निवेशकों को अब अन्य विकल्पों जैसे डेट फंड्स, सरकारी बचत योजनाओं (PMVVY, SCSS), या टैक्स-फ्री बॉन्ड्स पर विचार करना चाहिए।
  • लघु अवधि के निवेशकों को झटका: जो लोग 1 साल से कम की अवधि के लिए एफडी कर रहे हैं, उनके लिए यह कटौती अधिक प्रभावी होगी।
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