मॉनसून सत्र से पहले INDIA गठबंधन की अहम बैठक 19 जुलाई को, आप और TMC रहेंगी दूर

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होगी विपक्षी नेताओं की बैठक, संसद सत्र की रणनीति पर होगा मंथन, कई प्रमुख दल नहीं लेंगे हिस्सा


नई दिल्ली:


देश की राजनीति में एक बार फिर से INDIA गठबंधन (I.N.D.I.A. Alliance) चर्चा में है। आगामी संसद के मॉनसून सत्र से पहले विपक्षी एकता को मजबूती देने के प्रयास के तहत 19 जुलाई की शाम को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक बुलाई गई है। लेकिन इस बैठक से आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की दूरी ने विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कौन शामिल होगा, कौन नहीं?

सूत्रों के अनुसार,

  • TMC की तरफ से कहा गया है कि 21 जुलाई को पार्टी का वार्षिक “शहीद दिवस” कार्यक्रम होने के कारण उनके नेता इस बैठक में भाग नहीं लेंगे।
  • वहीं AAP की तरफ से भी इस बैठक से दूर रहने के संकेत मिले हैं, हालांकि स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है।

रणनीति क्या होगी?

बैठक का मुख्य उद्देश्य संसद के मानसून सत्र में साझा रणनीति बनाना है, ताकि सत्तारूढ़ NDA सरकार के खिलाफ प्रभावी ढंग से विपक्ष की आवाज उठाई जा सके। इसमें संयुक्त रूप से प्रश्नों, मुद्दों और प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी।

पिछली बैठकें कब हुईं?

  • आखिरी बैठक 1 जून 2024 को लोकसभा चुनावों के बाद दिल्ली में हुई थी।
  • फ्लोर लीडर्स मीटिंग जून 2025 में हुई थी, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिका की मध्यस्थता पर विशेष संसद सत्र की मांग की गई थी।

INDIA गठबंधन: अब तक का सफर

  • पहली बैठक: 23 जून 2023, पटना
  • दूसरी बैठक: 17-18 जुलाई 2023, बेंगलुरु
  • तीसरी बैठक: 31 अगस्त–1 सितंबर 2023, मुंबई
  • चौथी बैठक: 19 दिसंबर 2023, नई दिल्ली

गठबंधन की संरचना और बदलाव

2023 में गठबंधन की शुरुआत 26 दलों से हुई थी, जो मुंबई बैठक तक 28 तक पहुंच गई। 2024 के चुनावों के दौरान यह संख्या 37 दलों तक हो गई थी। हालांकि, चुनाव के बाद कुछ दल इससे अलग भी हो गए, जैसे जेडीयू और राष्ट्रीय लोक दल

प्रमुख सदस्य दल:

  • कांग्रेस (INC)
  • तृणमूल कांग्रेस (TMC)
  • DMK, AAP, SP, RJD, JMM, CPI(M), CPI
  • शिवसेना (UBT), NCP (शरद पवार), JKNC

निष्कर्ष:

INDIA गठबंधन की यह बैठक 2024 के चुनावों के बाद विपक्ष के लिए एक नया मोड़ साबित हो सकती है, लेकिन प्रमुख दलों की अनुपस्थिति से यह भी साफ है कि गठबंधन के भीतर समरसता बनाए रखना बड़ी चुनौती बन चुका है।




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