ऑनलाइन उपस्थिति स्थगित करने की मांग: शिक्षक संघ का प्रयास

राजकीय शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश मूल संघ के प्रदेश कार्यकारी महामन्त्री डॉ. अशोक कुमार अवाक ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह से माॅंग की है कि वर्तमान परिस्थितियों में व्यवहारिक समस्याओं को दृष्टिगत रखते छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक- शिक्षिकाओं की ऑनलाइन उपस्थिति की प्रक्रिया को स्थगित किया जाए। कार्यकारी महामन्त्री का कहना है कि प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं जैसे सोनभद्र, हमीरपुर, बाॅंदा, चित्रकूट, झाॅंसी, मीरजापुर,महोबा, लखीमपुर-खीरी आदि जहाॅं भौगोलिक स्थितियाॅं अत्यन्त प्रतिकूल होने के कारण छात्र-छात्राओं की दैनिक उपस्थिति हमेशा प्रभावित रहती है। अत्यन्त गरीब परिवार के बच्चों का शुल्क विद्यालय संचालित करने के लिए कई प्रधानाध्यापक , प्रधानाध्यापिका, प्रधानाचार्य , शिक्षक और शिक्षिकाऍं अपने स्तर से जमा करते हैं । इन्हें अनुपस्थित दर्शाया जाएगा , तो फिर इनका अनुपस्थिति दण्ड किन स्रोतों से जमा किया जाएगा ? वास्तव में इस प्रक्रिया को पहले बेसिक के विद्यालयों में लागू करना चाहिए जिससे कि मध्याह्न भोजन योजना समेत अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दैनिक उपस्थिति के आधार पर सही छात्र-छात्राओं तक पहुॅंच सके और सरकारी संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके।

इसे सभी बोर्डों के विद्यालयों और अशासकीय, सहायता प्राप्त विद्यालयों पर भी समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। अन्य योजनाओं के समान इसको लागू करने हेतु संसाधनों की अवस्था अलग से अब तक नहीं की गई है। कक्षा 9 एवं 11 के अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं का नाम स्वत: ही क्रमशः कक्षा 10 एवं 12 में प्रदर्शितहो रहे हैं। इन्हें विलोपित करने की व्यवस्था नहीं है। लॉगइन करते समय वेबसाइट पर त्रुटियाॅं ही आ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों और पर्वतीय क्षेत्रों में इंटरनेट की गति बहुत धीमी रहती है और कभी-कभी यह कार्य नहीं करता है। सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि गरीब परिवार के बच्चे जो मजदूरी करते हुए किसी प्रकार से पढ़ाई करते हैं, यदि ऑनलाइन अनुपस्थिति की आधार पर उनका नाम विद्यालय से पृथक कर दिया जाएगा या कालांतर में परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा तो यह उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा।

यह वर्तमान लोकप्रिय सरकार की – ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘सब पढ़ें- सब बढ़ें’ की मंशा पर पानी फेरने जैसा होगा। इससे सरकार की छवि भी धूमिल हो सकती है। जहाॅं तक शिक्षक-शिक्षिकाओं की ऑनलाइन उपस्थिति की बात है, पहली से ही उनकी द्विस्तरीय उपस्थिति ली जा रही है। सबसे पहले वह उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर करते हैं , फिर बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराई जाती है। अब तीसरे स्तर पर आनलाइन उपस्थिति लेना समय और ऊर्जा की बर्बादी मात्र है । सरकार को इन तीनों में से किसी एक प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। डॉ अवाक ने याद दिलाया कि इसी ऑफलाइन उपस्थिति की व्यवस्था में अध्ययन करते हुए प्रदेश के बच्चों ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और यह प्रक्रिया आज भी जारी है । राष्ट्र निर्माता शिक्षकों पर से अविश्वास का भाव मिटाने की आवश्यकता है। इन बातों को दृष्टिगत रखते हुए कार्यकारी महामन्त्री ने माॅंग की है कि माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को स्थगित किया जाए।

रिपोर्ट – रामविलास यादव

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