श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोपियों ने की थी मां कात्यायनी की पूजा, देवी को चढ़ाएं शहद
(28 सितंबर) नवरात्रि का सातवां दिन है, लेकिन तिथि है आश्विन शुक्ल षष्ठी। इस तिथि पर देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। जो भक्त मनचाहा जीवन साथी पाना चाहते हैं, उन्हें देवी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोकुल-वृंदावन की गोपियों ने देवी के इसी स्वरूप की पूजा की थी। देवी लाल, हरे, पीले वस्त्र धारण करती हैं। पूजा में देवी को शहद का भोग लगाना चाहिए।
देवी के इस स्वरूप से जुड़ी दो कथाएं हैं।
पहली कथा –
महिषासुर का वध करने के लिए ब्रह्म, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा को प्रकट किया था। उस समय ऋषि कात्यायन ने देवी दुर्गा की सबसे पहली पूजा की थी। इस कारण मां दुर्गा कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं। इस पूजा के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।
दूसरी कथा –
पुराने समय में कत नाम के एक ऋषि थे, इनके पुत्र थे कात्य और कात्य ऋषि के पुत्र थे कात्यायन। कात्यायन ऋषि देवी दुर्गा को पुत्री रूप में पाना चाहते थे। इसके लिए कात्यायन ने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की कामना से कठोर तप किया।
ऋषि की तपस्या से देवी दुर्गा प्रसन्न हो गईं और मनचाहा वरदान दिया। कुछ समय बाद देवी ने कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया। कात्यायन की पुत्री होने की वजह से देवी का नाम कात्यायनी पड़ा।
देवी का संदेश –
देवी ने अपने परम भक्त कात्यायन ऋषि की इच्छा का मान रखा और उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लिया। ठीक इसी तरह जो लोग हमें मान-सम्मान देते हैं, हमारे शुभचिंतक हैं, हमें उनका और उनकी इच्छाओं का मान रखना चाहिए।
