AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का युवाओं को संदेश— “अगर यूं ही समय बर्बाद करते रहोगे, तो BLO से कैसे करोगे सामना?” बिहार में चल रहे SIR अभियान पर भी उठाए गंभीर सवाल
हैदराबाद:
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर चल रही शॉर्ट वीडियो रील्स की लत को लेकर युवाओं को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि रील्स देखने की आदत न केवल समय बर्बाद कर रही है, बल्कि युवाओं के दिमाग को भी “तबाह” कर रही है। ओवैसी का यह बयान बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान की पृष्ठभूमि में आया है।
“रील देखने से वैज्ञानिक, डॉक्टर या नेता नहीं बन सकते”
हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा,
“आप रील देखकर समय बर्बाद करेंगे तो नेता, डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक नहीं बन पाएंगे। रील देखने से केवल दिमाग खराब होता है और समय बर्बाद होता है।”
उन्होंने युवाओं से सवाल किया कि अगर वे इसी तरह डिजिटल मनोरंजन में डूबे रहेंगे, तो चुनाव प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) के सवालों का जवाब कैसे देंगे?
SIR अभियान को बताया ‘छिपा हुआ NRC’
ओवैसी ने बिहार में चल रहे SIR अभियान पर भी निशाना साधा और इसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की प्रक्रिया का एक “पिछले दरवाजे से” प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का काम केवल वोटरों की सूची बनाना है, किसी की नागरिकता तय करना नहीं।
उन्होंने पूछा:
“चुनाव आयोग को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी को भारतीय माने या न माने?”
“2003 में भी ऐसा ही गणना अभियान चला था। हम यह जानना चाहते हैं कि तब कितने विदेशी निकले?”
BLO से सवाल पूछने की अपील
AIMIM प्रमुख ने अपने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे BLO अधिकारियों से संपर्क करें और पूछें कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश के कौन से लोग उनके सर्वेक्षण में पाए गए हैं। ओवैसी ने SIR अभियान को लेकर लोगों के मन में फैल रहे डर और भ्रम की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया।
86% से अधिक फॉर्म एकत्रित, अंतिम चरण जल्द
चुनाव आयोग के अनुसार, इस अभियान के तहत अब तक 86.32% मतदाता फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं और घर-घर जाकर सर्वेक्षण का अंतिम दौर जल्द शुरू होगा।
इस बयान के माध्यम से ओवैसी ने न केवल युवाओं को चेताया है, बल्कि चुनावी पारदर्शिता, डिजिटल लत और नागरिक अधिकारों को लेकर भी बड़ी बहस छेड़ दी है।
हैदराबाद:
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर चल रही शॉर्ट वीडियो रील्स की लत को लेकर युवाओं को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि रील्स देखने की आदत न केवल समय बर्बाद कर रही है, बल्कि युवाओं के दिमाग को भी “तबाह” कर रही है। ओवैसी का यह बयान बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान की पृष्ठभूमि में आया है।
“रील देखने से वैज्ञानिक, डॉक्टर या नेता नहीं बन सकते”
हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा,
“आप रील देखकर समय बर्बाद करेंगे तो नेता, डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक नहीं बन पाएंगे। रील देखने से केवल दिमाग खराब होता है और समय बर्बाद होता है।”
उन्होंने युवाओं से सवाल किया कि अगर वे इसी तरह डिजिटल मनोरंजन में डूबे रहेंगे, तो चुनाव प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) के सवालों का जवाब कैसे देंगे?
SIR अभियान को बताया ‘छिपा हुआ NRC’
ओवैसी ने बिहार में चल रहे SIR अभियान पर भी निशाना साधा और इसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की प्रक्रिया का एक “पिछले दरवाजे से” प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का काम केवल वोटरों की सूची बनाना है, किसी की नागरिकता तय करना नहीं।
उन्होंने पूछा:
“चुनाव आयोग को यह अधिकार किसने दिया कि वह किसी को भारतीय माने या न माने?”
“2003 में भी ऐसा ही गणना अभियान चला था। हम यह जानना चाहते हैं कि तब कितने विदेशी निकले?”
BLO से सवाल पूछने की अपील
AIMIM प्रमुख ने अपने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे BLO अधिकारियों से संपर्क करें और पूछें कि नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश के कौन से लोग उनके सर्वेक्षण में पाए गए हैं। ओवैसी ने SIR अभियान को लेकर लोगों के मन में फैल रहे डर और भ्रम की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया।
86% से अधिक फॉर्म एकत्रित, अंतिम चरण जल्द
चुनाव आयोग के अनुसार, इस अभियान के तहत अब तक 86.32% मतदाता फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं और घर-घर जाकर सर्वेक्षण का अंतिम दौर जल्द शुरू होगा।
इस बयान के माध्यम से ओवैसी ने न केवल युवाओं को चेताया है, बल्कि चुनावी पारदर्शिता, डिजिटल लत और नागरिक अधिकारों को लेकर भी बड़ी बहस छेड़ दी है।