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कीर स्टार्मर सरकार का ऐतिहासिक फैसला, 1969 के बाद पहली बार मतदान की उम्र में बदलाव, युवाओं को मिलेगा राजनीतिक भागीदारी का मौका
ब्रिटेन में लोकतंत्र को अधिक समावेशी और युवा-केन्द्रित बनाने की दिशा में कीर स्टार्मर की अगुवाई वाली सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब देश में वोट देने की न्यूनतम आयु 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। यह नया नियम अगली आम चुनावों से पहले लागू किया जाएगा, जिससे 16 और 17 वर्ष के किशोर भी पहली बार मतदान में भाग ले सकेंगे।
सरकार ने इस बदलाव को “लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक पीढ़ीगत कदम” बताया है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के नेतृत्व में सरकार ने इसे संसद की मंजूरी के बाद लागू करने की घोषणा की है।
आखिरी बार 1969 में बदला था नियम
ब्रिटेन में मतदान आयु में आखिरी बदलाव 1969 में हुआ था, जब इसे 21 से घटाकर 18 किया गया था। अब 56 वर्षों बाद इसे और नीचे लाया गया है, जिसे समान भागीदारी और युवाओं की आवाज़ को ताकत देने वाला कदम माना जा रहा है।
डिप्टी प्रधानमंत्री का बयान
डिप्टी पीएम एंजेला रेयनर ने कहा,
“हमारे लोकतंत्र में लोगों का भरोसा घट रहा था। इसलिए हम 16 साल की उम्र से मतदान का अधिकार देकर लोकतंत्र को मजबूत करना चाहते हैं। यह वादा हमारे घोषणापत्र का हिस्सा था और हम इसे पूरा कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस फैसले से राजनीतिक प्रणाली में युवाओं की सीधी भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, वोटर आईडी के लिए बैंक कार्ड, डिजिटल पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और वेटरन कार्ड जैसे विकल्पों को भी मान्यता दी जाएगी।
ऐसा क्यों किया गया?
सरकार का मानना है कि 16 साल की उम्र तक युवा काम करना शुरू कर देते हैं, टैक्स भरते हैं और कई तो सेना में भी सेवा दे रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें मतदान का अधिकार भी मिलना चाहिए।
लोकतंत्र मंत्री रुशनारा अली ने इसे “नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देने वाला पीढ़ीगत बदलाव” करार दिया।
कौन-कौन से देश देते हैं किशोरों को वोटिंग का अधिकार?
ब्रिटेन अब उन कुछ देशों में शामिल हो गया है, जहां 18 वर्ष से कम उम्र में वोट देने की अनुमति है। इनमें शामिल हैं:
- ब्राज़ील, अर्जेंटीना, इक्वाडोर, क्यूबा, ऑस्ट्रिया, माल्टा, निकारागुआ, आइल ऑफ मैन – 16 वर्ष
- ग्रीस, उत्तर कोरिया, तिमोर-लेस्ते, इंडोनेशिया – 17 वर्ष
यह फैसला ब्रिटेन के लोकतांत्रिक इतिहास में एक बड़ा और साहसिक कदम माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।