भारतीय न्यायपालिका में जजों की भूमिका और उनके बोलने की सीमा को लेकर बहस एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज मार्कंडेय काटजू के अनुसार, जजों को सुनवाई के दौरान भाषण या ज्ञान देने से बचना चाहिए और कानून के मुताबिक फैसला करने पर ध्यान देना चाहिए।
काटजू का मानना है कि जजों को आवश्यकता से अधिक नहीं बोलना चाहिए, ताकि असल मुद्दे से भटक न जाएं। उनका कहना है कि न्यायालय का काम सिर्फ न्याय करना है, न कि प्रवचन देना।
इस परिप्रेक्ष्य में, जजों को बोलने पर नियंत्रण रखना चाहिए और कानून के दायरे में रहकर फैसले करने चाहिए। इससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बढ़ सकती है।
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
1. जजों का मुख्य काम न्याय करना है, न कि प्रवचन देना या ज्ञान बांटना।
2. जजों को कानून के दायरे में रहकर फैसले करने चाहिए।
3. जजों को अपने शब्दों और कार्यों में संयम बरतना चाहिए।
अंततः, जजों को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए संयम और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।
