लखनऊ
उत्तर प्रदेश में एनडीए की सहयोगी पार्टी और केंद्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाला अपना दल (सोनेलाल) इन दिनों अपने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक फैसले को लेकर नाराज है। मामला उन नेताओं की दोबारा नियुक्ति का है, जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते अपना दल (एस) से पहले ही निष्कासित किया जा चुका है।
सीएम योगी को भेजा आपत्ति पत्र
अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष आर. पी. गौतम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है। उन्होंने भाजपा द्वारा निगम और बोर्डों में फिर से मनोनीत किए गए नेताओं की नियुक्ति को गठबंधन धर्म के खिलाफ बताया है और तत्काल प्रभाव से उन्हें हटाने की मांग की है।
किन नेताओं पर है विवाद? मोनिका आर्या –
पूर्व में अपर शासकीय अधिवक्ता के पद पर नियुक्त थीं**अरविंद बौद्ध – पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं*दोनों को तीन साल पहले अनुशासनहीनता और संगठन विरोधी गतिविधियों के आरोप में अपना दल (एस) से बाहर कर दिया गया था।
पार्टी का कहना है कि इन नेताओं को दोबारा नामित करने से पहले अपना दल से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया, जो गठबंधन की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।
अपना दल की मांगें और तर्क
पत्र में अपना दल ने यह साफ किया कि वह एनडीए गठबंधन का एक महत्वपूर्ण सहयोगी दल है, जो वर्षों से प्रदेश के विकास और सुशासन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
ऐसे में पार्टी की अनदेखी कर लिए गए फैसले से कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा हो रहा है।अपना दल ने दोबारा नामित दोनों नेताओं को तुरंत पद से हटाने के साथ-साथ पार्टी के कोटे से दो नए नाम सरकार को प्रस्तावित किए हैं, जिन्हें उन पदों पर नियुक्त करने की मांग की गई है।
गठबंधन में पारदर्शिता की मांग
आरपी गौतम ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि ऐसा कोई भी निर्णय जो सहयोगी दलों से विचार-विमर्श किए बिना लिया जाए, वह गठबंधन की भावना को आघात पहुंचाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि एनडीए के भीतर पारदर्शिता और सम्मानजनक संवाद बना रहे, जिससे जनता और कार्यकर्ताओं में विश्वास कायम रहे।