ओडिशा के बालेश्वर में यौन उत्पीड़न से तंग आकर बी.एड छात्रा ने की आत्महत्या, कॉलेज प्रशासन पर उठे सवाल

प्रोफेसर पर पहले भी की गई थीं शिकायतें, आंतरिक समिति ने किया खुलासा – ‘तुम बच्ची नहीं हो, समझ सकती हो मैं क्या चाहता हूं’ जैसी बातें करता था आरोपी

बालेश्वर (ओडिशा):


फकीर मोहन कॉलेज, बालेश्वर में बी.एड की पढ़ाई कर रही 20 वर्षीय छात्रा की आत्मदाह से मौत ने पूरे ओडिशा को झकझोर कर रख दिया है। छात्रा ने 12 जुलाई को खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली थी। 95% जल चुकी छात्रा को पहले बालेश्वर के जिला अस्पताल और फिर एम्स भुवनेश्वर में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

सूत्रों के अनुसार, छात्रा ने कॉलेज के प्रोफेसर समीर साहू पर मानसिक और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप है कि साहू की शिकायतें कई बार कॉलेज प्रशासन तक पहुंची, लेकिन हर बार इन्हें नजरअंदाज किया गया। छात्रा की मौत के बाद प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

आरोपों की अनदेखी बना मौत की वजह?

कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की सदस्य मिनती सेठी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पीड़िता ने साहू के व्यवहार को लेकर कई बार शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि आरोपी प्रोफेसर छात्राओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था — छोटी-छोटी बातों पर क्लास से बाहर निकाल देता था।
30 जून को साहू ने छात्रा को परीक्षा देने से भी मना कर दिया था। अगले ही दिन छात्रा ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी।

शिकायत के अनुसार, प्रोफेसर साहू ने छात्रा से “फेवर” की मांग की थी। जब छात्रा ने सवाल किया, तो उसने कथित रूप से जवाब दिया — “तुम बच्ची नहीं हो, समझ सकती हो मैं क्या चाहता हूं।” इस टिप्पणी ने छात्रा को अंदर तक तोड़ दिया।

‘प्रशासन ने नहीं दिया कोई ठोस जवाब’

कॉलेज प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता को लेकर छात्रों और सामाजिक संगठनों में गुस्सा है। परिजनों का आरोप है कि अगर समय रहते प्रशासन कार्रवाई करता, तो बेटी की जान बच सकती थी।

न्याय की मांग तेज, आरोपी पर सख्त कार्रवाई की मांग

इस घटना ने राज्यभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर #JusticeForBEdStudent ट्रेंड कर रहा है और आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ गिरफ्तारी की मांग की जा रही है। बालेश्वर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आरोपी को हिरासत में नहीं लिया गया है।


यह मामला न सिर्फ एक छात्रा की जिंदगी की त्रासदी है, बल्कि शिक्षा संस्थानों में मौजूद यौन शोषण के खिलाफ एक कड़ा सवाल भी है।

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