नई दिल्ली
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज धरती पर सुरक्षित लौट आए। वे अमेरिकी प्राइवेट मिशन ‘एक्सिओम-4’ का हिस्सा थे, जिसमें भारत के अलावा हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया यह मिशन 25 जून को शुरू हुआ था और 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद अब समाप्त हुआ।
शुभांशु शुक्ला का योगदान: अंतरिक्ष में भारतीय विज्ञान की गूंज
ISS पर रहते हुए शुभांशु शुक्ला ने कई उल्लेखनीय वैज्ञानिक प्रयोग किए। उन्होंने माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में चना, मेथी और मूंग के बीज उगाए, जो भविष्य की अंतरिक्ष खेती (Space Farming) की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इन पौधों के अंकुरण, विकास, पोषण प्रोफाइल और आनुवंशिकी का गहन अध्ययन किया जाएगा ताकि यह समझा जा सके कि अंतरिक्ष में जैविक जीवन कैसे पनप सकता है।
अन्य प्रमुख प्रयोग: शैवाल से ऑक्सीजन और जैव ईंधन तक
एक अन्य प्रयोग में शुभांशु ने सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) का उपयोग किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्राओं में भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन का स्रोत बन सकता है। यह शोध लंबी अवधि के ग्रह मिशनों, जैसे चंद्रमा या मंगल अभियान के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
क्या लेकर आए हैं अंतरिक्ष यात्री?
NASA के अनुसार, एक्सिओम-4 मिशन से लौटे अंतरिक्ष यात्री लगभग 580 पाउंड (263 किलोग्राम) वैज्ञानिक सामग्री और डेटा लेकर लौटे हैं।
इनमें नासा के हार्डवेयर, रिसर्च सैंपल्स और 60 से अधिक प्रयोगों के निष्कर्ष शामिल हैं।
हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे
शुभांशु ने ISS पर 18 दिन बिताए, जहां हर दिन उन्होंने 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखा। ऐसा इसलिए क्योंTools
अंतरिक्ष से लौटे भारत के शुभांशु शुक्ला, ‘एक्सिओम-4’ मिशन में किए 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग
अंतरिक्ष में उगाया चना, मूंग और मेथी, साथ लाए 580 पाउंड वैज्ञानिक डेटा; गगनयान मिशन के लिए अहम साबित होंगे ये अनुभव
नई दिल्ली |
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज धरती पर सुरक्षित लौट आए। वे अमेरिकी प्राइवेट मिशन ‘एक्सिओम-4’ का हिस्सा थे, जिसमें भारत के अलावा हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया यह मिशन 25 जून को शुरू हुआ था और 18 दिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद अब समाप्त हुआ।
शुभांशु शुक्ला का योगदान: अंतरिक्ष में भारतीय विज्ञान की गूंज
ISS पर रहते हुए शुभांशु शुक्ला ने कई उल्लेखनीय वैज्ञानिक प्रयोग किए। उन्होंने माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में चना, मेथी और मूंग के बीज उगाए, जो भविष्य की अंतरिक्ष खेती (Space Farming) की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इन पौधों के अंकुरण, विकास, पोषण प्रोफाइल और आनुवंशिकी का गहन अध्ययन किया जाएगा ताकि यह समझा जा सके कि अंतरिक्ष में जैविक जीवन कैसे पनप सकता है।
अन्य प्रमुख प्रयोग: शैवाल से ऑक्सीजन और जैव ईंधन तक
एक अन्य प्रयोग में शुभांशु ने सूक्ष्म शैवाल (Microalgae) का उपयोग किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्राओं में भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन का स्रोत बन सकता है। यह शोध लंबी अवधि के ग्रह मिशनों, जैसे चंद्रमा या मंगल अभियान के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
क्या लेकर आए हैं अंतरिक्ष यात्री?
NASA के अनुसार, एक्सिओम-4 मिशन से लौटे अंतरिक्ष यात्री लगभग 580 पाउंड (263 किलोग्राम) वैज्ञानिक सामग्री और डेटा लेकर लौटे हैं।
इनमें नासा के हार्डवेयर, रिसर्च सैंपल्स और 60 से अधिक प्रयोगों के निष्कर्ष शामिल हैं।
हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे
शुभांशु ने ISS पर 18 दिन बिताए, जहां हर दिन उन्होंने 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखा। ऐसा इसलिए क्योंTools