शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी की तैयारी पूरी, ISS में 18 दिन बिताने के बाद धरती पर लौटेंगे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय, ‘सारे जहां से अच्छा’ बताया आज के भारत को

नई दिल्ली


अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 18 दिन सफलतापूर्वक बिताने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब धरती पर लौटने को तैयार हैं। सोमवार को वह लौटने की यात्रा शुरू करेंगे। ‘एक्सिओम स्पेस’ द्वारा जारी बयान के अनुसार, ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए शुक्ला और उनके तीन अन्य सहयोगी कैलिफोर्निया तट पर मंगलवार दोपहर 3:01 बजे (भारतीय समयानुसार) उतरने की उम्मीद है। इस ऐतिहासिक मिशन में शुक्ला के साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के यात्री भी शामिल रहे।

पूरी प्रक्रिया होगी स्वचालित

शुक्ला और उनके साथी ‘ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान से स्वचालित प्रणाली के तहत ISS से अनडॉक करेंगे। इसके बाद यान पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश से पहले कई प्रक्रियाओं से गुजरेगा। इस दौरान अंतरिक्ष यान को करीब 1,600 डिग्री सेल्सियस तापमान का सामना करना पड़ेगा। दो चरणों वाले पैराशूट सिस्टम की मदद से यान की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जाएगी।

विदाई समारोह में गूंजा ‘जल्द मिलते हैं’

रविवार को ISS में अभियान-73 के सदस्यों ने एक पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया, जिसमें एक्सिओम-4 मिशन के सभी यात्रियों को सम्मानित किया गया। विदाई के दौरान शुक्ला ने भावुक लहजे में कहा, “जल्दी ही धरती पर मुलाकात करते हैं।” यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी की अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक बना, जो चार दशकों के बाद संभव हुआ है।

‘आज का भारत आत्मविश्वास से भरा दिखता है’

शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारत के दृश्य का जिक्र करते हुए कहा, “आज का भारत महत्वाकांक्षी, निडर, और गर्व से भरा नजर आता है। ये सभी कारण एक ही बात कहते हैं — ‘सारे जहां से अच्छा’ आज भी भारत है।” उन्होंने भारत की बदलती छवि पर गर्व व्यक्त किया।

शुभांशु की प्रतिक्रिया: अविश्वसनीय अनुभव

अपने अनुभव को साझा करते हुए शुक्ला ने कहा, “25 जून को जब मैंने फाल्कन-9 से उड़ान भरी थी, तब मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। यह यात्रा उन लोगों की वजह से खास बनी जो हमारे साथ खड़े रहे। अंतरिक्ष में आप जैसे पेशेवरों के साथ काम करके मुझे बहुत खुशी हुई।”

धरती पर वापसी के बाद पुनर्वास जरूरी

अंतरिक्ष से लौटने के बाद सभी यात्रियों को लगभग सात दिनों के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा, ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में खुद को फिर से ढाल सकें। शुक्ला के लिए यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि रही, बल्कि वह ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव भी लेकर लौट रहे हैं।

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