बेंगलुरु फ्लाईओवर उद्घाटन विवाद पर नितिन गडकरी की सफाई— “CM को दो-दो बार भेजा गया था न्योता, हर प्रोटोकॉल का पालन किया”

केंद्र बनाम राज्य टकराव के बीच केंद्रीय मंत्री ने साझा किए दोनों पत्र, कांग्रेस ने जताई नाराजगी

बेंगलुरु/नई दिल्ली


बेंगलुरु में फ्लाईओवर उद्घाटन समारोह को लेकर उठे राजनीतिक विवाद पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सभी प्रोटोकॉल का पालन किया है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को समय रहते दो बार औपचारिक निमंत्रण भेजा गया था।

गडकरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दोनों पत्रों की तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि 11 और 12 जुलाई को भेजे गए निमंत्रणों में मुख्यमंत्री से या तो स्वयं उपस्थित रहने या वर्चुअली शामिल होने का अनुरोध किया गया था। इसके बावजूद कार्यक्रम से मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के अन्य नेता गैरहाजिर रहे।


कांग्रेस का एतराज़: ‘हमें पहले नहीं बताया गया’

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

“राज्य सरकार को विश्वास में नहीं लिया गया। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर केंद्र को पत्र भी लिखा है। इतना बड़ा कार्यक्रम करने से पहले मुख्यमंत्री को कम से कम एक महीने पहले सूचित किया जाना चाहिए था।”

शिवकुमार ने आगे बताया कि इस परियोजना में राज्य सरकार के सिंचाई विभाग ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, और अगर उन्हें समय पर जानकारी मिलती, तो वे जरूर शामिल होते।


क्या लिखा था नितिन गडकरी के पत्रों में?

पहला पत्र (11 जुलाई):

“प्रिय सिद्धारमैया जी, मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कर्नाटक राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का राष्ट्र को समर्पण/आधारशिला रखने का कार्यक्रम 14 जुलाई 2025 को सागरा, जिला शिवमोग्गा में निर्धारित है। कृपया कार्यक्रम की अध्यक्षता करें।”

दूसरा पत्र (12 जुलाई):

“यदि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना संभव न हो, तो हमें खुशी होगी यदि आप वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हमसे जुड़ सकें।”


गडकरी का बयान: सहयोग की उम्मीद

अपने पोस्ट में गडकरी ने लिखा:

“केंद्र सरकार सभी प्रोटोकॉल का पालन करती रही है। हमने राज्य सरकार के योगदान की हमेशा सराहना की है और सहयोग की अपेक्षा करते हैं। हमारा लक्ष्य सहकारी संघवाद को मजबूत करना है।”


राजनीतिक माहौल गरमाया

यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब केंद्र और कुछ विपक्षी शासित राज्यों के बीच समन्वय और संवाद की कमी को लेकर राजनीतिक तनाव अक्सर देखने को मिलता है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के बीच यह विवाद इसी पृष्ठभूमि का हिस्सा माना जा रहा है।

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