नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण से जुड़े बहुचर्चित छांगुर बाबा प्रकरण अब आर्थिक घोटाले की दिशा में भी तेजी से बढ़ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 60 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग के सबूतों का खुलासा किया है। बलरामपुर, लखनऊ और मुंबई में स्थित 15 ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मिले हैं, जो छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों के व्यापक नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं।
लखनऊ एटीएस की FIR से खुली परतें
इस जांच की शुरुआत लखनऊ एटीएस द्वारा दर्ज उस FIR से हुई, जिसमें अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ी गंभीर धाराएं लगाई गई थीं। इस एफआईआर के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू की और चौंकाने वाली वित्तीय गड़बड़ियों का पता चला।
दरगाह से संचालित होता था पूरा नेटवर्क
ईडी के अनुसार, छांगुर बाबा बलरामपुर स्थित चांद औलिया दरगाह से पूरे नेटवर्क का संचालन करता था। यहां देश-विदेश से अनुयायी जुटते थे, जिनके माध्यम से विदेशी चंदा और फंडिंग प्राप्त की जाती थी। जांच में सामने आया है कि गरीब और दलित समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर उनका धर्मांतरण कराया जाता था।
22 बैंक खातों से 60 करोड़ का ट्रांजैक्शन
ईडी ने छांगुर बाबा से जुड़े 22 बैंक खातों की जांच की, जिसमें 60 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध लेन-देन का पता चला। इन खातों में विदेशी स्रोतों से बड़ी मात्रा में रकम ट्रांसफर की गई थी। इस धनराशि का इस्तेमाल कई फर्जी संपत्तियों की खरीद में किया गया, जिनका स्वामित्व बाबा ने खुद न लेकर अपने करीबी नवीन रोहरा और नीतू रोहरा के नाम पर दर्ज कराया।
नसरीन का बुटीक सील, कई दस्तावेज जब्त
बलरामपुर में बाबा की करीबी मानी जाने वाली नसरीन के तीन मंजिला बुटीक को ईडी ने सील कर दिया है। इसी बुटीक से लाखों के संदिग्ध लेन-देन के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इससे पहले एटीएस ने छांगुर बाबा और नसरीन को गिरफ्तार कर लिया था। जांच एजेंसियों को संदेह है कि यह नेटवर्क यूपी के बाहर अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है।
निष्कर्ष: एक धार्मिक आड़ में आर्थिक अपराध का जाल
छांगुर बाबा केस में हुए इस बड़े खुलासे ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है, जहां धार्मिक गतिविधियों की आड़ में बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराध और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग का खेल खेला जा रहा था। ईडी और एटीएस अब इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी हैं और आने वाले दिनों में कई और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।