
बांदा,
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों ने बांदा में एक बार फिर अपनी एकजुटता और निष्ठा से यह साबित किया कि सच्चाई की कलम आज भी सबसे मजबूत हथियार है। वर्षों बाद आयोजित पत्रकार संगठन का बहुप्रतीक्षित चुनाव मंगलवार को पूरी पारदर्शिता, शांतिपूर्ण माहौल और जबरदस्त उत्साह के बीच सम्पन्न हुआ।
मतदान केंद्र पर सुबह से ही पत्रकारों की लंबी कतारें लगी रहीं। हर पत्रकार के चेहरे पर अपने संगठन को नई दिशा देने का जोश साफ झलक रहा था। यह चुनाव किसी पद का नहीं बल्कि पत्रकारिता की अस्मिता और विश्वसनीयता का था।
अध्यक्ष पद पर हुए रोमांचक मुकाबले में अनवर रजा “रानू” ने अपने प्रतिद्वंद्वी दीपक कुमार पांडेय को 20 मतों के अंतर से हराकर शानदार जीत दर्ज की। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर त्रियुगीनारायण पांडेय और कनिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर अरबाज खान विजयी घोषित हुए।
परिणाम घोषित होते ही पत्रकार भवन तालियों और नारों से गूंज उठा। विजेताओं को फूल मालाओं से लाद दिया गया और मिठाइयों से खुशी का इजहार किया गया। विजयी पैनल में अध्यक्ष अनवर रजा “रानू”, वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रियुगीनारायण पांडेय और कनिष्ठ उपाध्यक्ष अरबाज खान शामिल हैं। तीनों ने कहा कि यह जीत व्यक्तिगत नहीं बल्कि पत्रकारों की सामूहिक एकता और सम्मान की जीत है।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष अनवर रजा “रानू” ने कहा—“हमारी प्राथमिकता पत्रकारों की सुरक्षा, सम्मान और संगठन की मजबूती है। हम हर पत्रकार की आवाज़ बनेंगे और सच्चाई के लिए डटकर खड़े रहेंगे।”वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रियुगीनारायण पांडेय ने कहा—“पत्रकार समाज का दर्पण हैं, और यह चुनाव उसी दर्पण की पारदर्शिता की जीत है। संगठन अब पहले से ज्यादा सशक्त भूमिका निभाएगा।”कनिष्ठ उपाध्यक्ष अरबाज खान ने कहा—“युवा पत्रकार संगठन में नई ऊर्जा और नई दिशा लेकर आए हैं। सच्चाई और साहस हमारी पहचान बनेगी।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एवं मंडल ब्यूरो चीफ राजाराम राही ने कहा—“यह जीत कलम की निष्ठा और सच्चाई की जीत है। बांदा ने साबित किया कि जब पत्रकार एकजुट होते हैं तो लोकतंत्र और मजबूत होता है। यह चुनाव प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी मिसाल बनेगा।”जदयू उत्तर प्रदेश की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने भी सभी विजयी प्रत्याशियों को बधाई देते हुए कहा—“पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ हैं।
बांदा के पत्रकारों ने एकता और ईमानदारी की जो मिसाल पेश की है, वह देश के हर जिले के लिए प्रेरणा है। कलम की ताकत ही वो शक्ति है जो समाज में न्याय और सच्चाई को जिंदा रखती है। हम उम्मीद करते है कि नई टीम पत्रकारों की आवाज़ को और बुलंद करेगी और जनहित के मुद्दों पर निर्भीक पत्रकारिता को आगे बढ़ाएगी।”पूरा चुनाव शांतिपूर्ण और पारदर्शी ढंग से सम्पन्न हुआ। किसी तरह की अव्यवस्था नहीं हुई।
बांदा का यह चुनाव न केवल पत्रकारिता के इतिहास में एक यादगार अध्याय बना, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि सच्ची पत्रकारिता आज भी लोकतंत्र की आत्मा है और कलम अब भी सत्ता से बड़ी है।
रिपोर्ट – सुनील यादव
