कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर देकर बचाई जा सकती है मरीज की जान
वाराणसी – 36 वीं वाहिनी पीएसी, रामनगर में भी एक विशेष सीपीआर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में जवानों और अधिकारियों ने भाग लिया। डॉ. द्विवेदी ने वहाँ भी लाइव डेमो के माध्यम से जवानों को कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में जीवन बचाने के तरीकों की जानकारी दी।
कोरोना के बाद बढ़े कार्डियक अरेस्ट के मामले – डॉ. द्विवेदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद से कार्डियक अरेस्ट के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि आजकल व्यायाम, खेलकूद और नृत्य जैसी सामान्य गतिविधियों के दौरान भी लोगों को दिल का दौरा पड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे समय में सीपीआर की जानकारी होना हर नागरिक और सुरक्षाबलों के लिए बेहद आवश्यक है। सही समय पर सीपीआर देने से मरीज के जीवित बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

मानव शरीर की डमी पर दिया गया लाइव डेमो – इस अवसर पर डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने जवानों को चरणबद्ध तरीके से सही तकनीक समझाई।
•मरीज को समतल सतह पर लिटाना।
•सांस या गले की रुकावट की जांच करना।
•छाती के बीचों-बीच प्रति मिनट 100–120 बार दबाव देना।
•हर 30 पुश के बाद दो बार सांस देना।
•यह प्रक्रिया तब तक जारी रखना जब तक एंबुलेंस न आ जाए।
उन्होंने कहा कि सीपीआर के सही उपयोग से रक्त का प्रवाह और मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति दोबारा शुरू हो जाती है, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकती है।
क्या है सीपीआर, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट?
•सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन): आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया, जिसमें सांस या दिल की धड़कन रुक जाने पर छाती दबाव और कृत्रिम सांस देकर मरीज को जीवनदान दिया जाता है।
•हार्ट अटैक: धमनियों में ब्लॉकेज के कारण दिल तक खून का प्रवाह रुकना। इसमें दिल की धड़कन बंद नहीं होती।
•कार्डियक अरेस्ट: दिल की विद्युत गतिविधि अचानक बंद होना, जिससे धड़कन रुक जाती है। इसमें तुरंत सीपीआर और डिफिब्रिलेटर की आवश्यकता होती है।

कार्यक्रम में हुई सराहना –
कार्यक्रम में उपस्थित 36वीं वाहिनी PAC, रामनगर के सेनानायक ने डॉ. अनिल कुमार पांडेय(आईपीएस) का आभार व्यक्त करते हुए कहा।
जवानों के लिए सीपीआर जैसी तकनीक जानना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जहाँ तत्काल चिकित्सा मदद उपलब्ध नहीं होती। डॉ. द्विवेदी का यह प्रयास समाज और सुरक्षाबलों दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
इस कार्यक्रम में प्रमोद कुमार यादव उपसेनानायक , राजकुमार उपसेनानायक, राजेश कुमार सहायक सेनानायक , कैलाश नाथ यादव शिविरपाल सहित वाहिनी के समस्त अधिकारी/ कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
