ग्रामीणों ने प्रशासन की जबरदस्ती का किया विरोध

चंदौली –

जनपद के मिल्कीपुर गांव में प्रशासन द्वारा बार-बार गांव वालों के साथ जोर जबरदस्ती तथा पुलिस के बल पर जो डराने धमकाने का काम किया जा रहा है उसे ग्रामीणों में काफी रोष व्याप्त है बीते 20 मई को एसडीएम मुग़लसराय द्वारा ग्रामीणों के साथ जोर जबरदस्ती की गई उसके बाद 3 जुलाई को तथा पुनः 25 जुलाई को भारी फोर्स बल के साथ महिलाओं के साथ जोर जबरदस्ती तथा अभद्रता की गई।

प्रशासन के साथ कुछ शादे ड्रेस में गुंडे टाइप के लोग भी आते हैं जो महिलाओं के साथ धक्का मुक्की करने का काम किए हैं इस पर गांव वालों में काफी रोष व्याप्त है और उनका सीधा सवाल है प्रशासन से कि

1- जब वह अपनी जमीन नहीं देना चाहते तो उनके साथ जोर जबरदस्ती क्यों

2- उप जिलाधिकारी 2013 अधिनियम की खुलेआम धज्जियां क्यों उड़ा रहे हैं जबकि अधिग्रहण के लिए भू स्वामियों की 70% सहमति अनिवार्य है

3- सांसद विधायक द्वारा डीएम के साथ मीटिंग में जब यह कहा गया कि इस मामले में पहले प्रशासन को गांव वालों से संवाद स्थापित करना चाहिए जिस पर डीएम ने कहा कि गांव वालो से बात के बाद ही आगे कि कार्यवाही कि जाएगी फिर एसडीएम द्वारा इस तरह की की तानाशाही क्यों

4- जनता से संवाद से क्यों पीछे भाग रहा है प्रशासन5- परियोजना में पारदर्शिता की पूरी तरीके से कमी है इसमें तथ्यों को छिपाया जा रहा है अगर यह भारत सरकार की परियोजना है तो पूरे परियोजना को गांव वालों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए कहां तक आप जमीन लेंगे कौन-कौन से लोग प्रभावित हो रहे हैं आपने उनके विस्थापन की क्या स्कीम बनाई है उनके रोजगार की क्या व्यवस्था की है बच्चों के शिक्षा का क्या इंतजाम किया है जो कि हमें 2013 अधिनियम यह अधिकार देता है…

5- जनता द्वारा चुनी सरकार आखिर जनता को ही क्यों उखाड़ कर फेंकना चाहती है और सरकार हमेशा गरीबों को ही क्यों उजाड़ना चाह रही है जबकि प्रस्तावित बंदरगाह रालूपुर के लिए था तथा रालूपुर में अभी काफी बड़ी संख्या में भूमि उपलब्ध है जिस पर आबादी भी नहीं है तथा वहां के भूस्वामी अपनी जमीन देने को तैयार बैठे हैं लेकिन यह शासन प्रशासन के लोग सस्ती जमीनों के चक्कर में गरीबों को उजाड़ने के फिराक में हैं अतः सर्वप्रथम तो रालूपुर में उपलब्ध जमीनों को अधिकृत किया जाना चाहिए उसके बाद आगे की भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जानी चाहिए।

6- ग्रामीणों ने साफ कहा है कि हम किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे।

7- उप जिलाधिकारी किसके आदेश पर इस तरीके की तानाशाही कर रहे हैं।

8- अभी तक प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के समक्ष कोई भी पेपर नहीं दिखाया गया है जिसमें ग्रामीणों ने एसडीएम से मांग की थी कि जिन-जिन लोगों ने आपको सहमति दी है उनकी सूची उन्हें उपलब्ध करा दी जाए साथ ही जिन लोगों ने अपनी जमीन देने से मना किया है उनकी जमीनों पर बुलडोजर ना चलाया जाए।

उप जिलाधिकारी द्वारा जब टीम आती हैं तो गांव के लोगों के साथ जोर जबरदस्ती की जाती है जिसका ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जाता है तथा फोन से रिकॉर्डिंग की जाती है जिस पर उनके साथ आए कुछ गुंडे प्रवृत्ति के लोग ग्रामीणों का फोन का फोन छीन कर ले जाने का भी काम करते हैं ।

ग्रामीणों ने साफ कहा है कि सर्वप्रथम पूरी परियोजना स्पष्ट रूप से जितने गांव प्रभावित हैं पूरे ग्रामीण के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए जिससे कि उन्हें 2013 अधिनियम का अधिकार की प्राप्ति हो सके जिसमें साफ-साफ लिखा है कि किसी भी सरकारी परियोजना के लिए जो प्रोजेक्ट होता है उसमें 100% पारदर्शिता अनिवार्य है।

रिपोर्ट – ईशान मिल्की

ख़बर को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *