2017 में यमन में हत्या के आरोप में दोषी ठहराई गई भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टली, लेकिन अंतिम फैसला अब भी अधर में; ‘ब्लड मनी’ पर चर्चा की संभावना
नई दिल्ली/सना (यमन)
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा पर भले ही अस्थायी राहत मिली हो, लेकिन इस सजा से पूरी तरह बच पाएंगी या नहीं, यह अब भी सस्पेंस बना हुआ है। मृतक अब्दो मेहदी के भाई के ताज़ा बयान ने इस मामले को और उलझा दिया है। उन्होंने कहा है कि “निमिषा को माफ नहीं किया जा सकता है।”
क्या है पूरा मामला?
- 2008: केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया काम की तलाश में यमन गईं और एक निजी क्लिनिक में नर्स के तौर पर नौकरी शुरू की।
- 2014-2016: उन्होंने यमन निवासी अब्दो मेहदी के साथ मिलकर मेडिकल क्लिनिक खोला।
- 2017: विवाद के बाद प्रिया ने मेहदी को कथित तौर पर बेहोश करने वाली दवा दी ताकि वह अपना जब्त पासपोर्ट वापस ले सके। लेकिन दवा जानलेवा साबित हुई और मेहदी की मौत हो गई।
- 2018: निमिषा को गिरफ्तार किया गया और अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराया।
- 2020: यमन की अदालत ने मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने बरकरार रखा।
क्या मिल सकती है माफी?
यमन के शरिया कानून के तहत, मृतक के परिजन अपराधी को “ब्लड मनी” के बदले माफ कर सकते हैं। हालांकि, अब्दो मेहदी के परिवार में भीतरूनी मतभेद और भाई के इस बयान ने माफी की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फेर दिया है।
“निमिषा ने जो किया, उसके लिए उसे माफ नहीं किया जा सकता,” — अब्दुल फत्ताह मेहदी, मृतक के भाई
फिलहाल, धार्मिक नेता और मध्यस्थ अधिकारी दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश कर रहे हैं।
ब्लड मनी पर बातचीत की उम्मीद
अगर मेहदी का परिवार माफी देने को तैयार हो जाता है, तो अगला कदम होगा — “ब्लड मनी” की राशि तय करना और उसका भुगतान करना। केरल के अरबपति व्यवसायी एम. ए. यूसुफ अली ने ज़रूरत पड़ने पर पूरी आर्थिक सहायता देने की पेशकश की है।
भारत सरकार और केरल सरकार की सक्रियता
भारत सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से देख रही है। विदेश मंत्रालय और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने भी हस्तक्षेप कर पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि वह इस विषय को यमन के साथ राजनयिक स्तर पर उठाएं।
फांसी टली, लेकिन खतरा अभी भी टला नहीं
निमिषा को बुधवार (16 जुलाई, 2025) को फांसी दी जानी थी, लेकिन आखिरी समय में स्थगित कर दी गई। यह राहत स्थायी नहीं है और अंतिम फैसला परिवार की माफ़ी और ब्लड मनी समझौते पर निर्भर करेगा।
निष्कर्ष:
निमिषा प्रिया की किस्मत अब यमन की अदालत या सरकार के नहीं, बल्कि एक पीड़ित परिवार के हाथ में है। क्या मानवता, न्याय और क्षमा का रास्ता खुलेगा या सजा पूरी होगी — इसका उत्तर आने वाले कुछ दिनों में मिल सकता है।