🔁 तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होते ही संगठनात्मक और प्रशासनिक स्तर पर व्यापक बदलाव की तैयारी, सहयोगियों को भी मिल सकती है जगह
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा होते ही केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठन में बड़े फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव, भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन, और राज्यपालों की नियुक्तियाँ एक साथ हो सकती हैं।
🔹 हाल की गतिविधियाँ क्या संकेत देती हैं?
- चार नए राज्यसभा सांसद नामित किए गए हैं:
एडवोकेट उज्ज्वल निकम, इतिहासकार मीनाक्षी जैन, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, और आरएसएस से जुड़े सी सदानंदन मास्टे को राज्यसभा में भेजा गया है। - नए राज्यपालों की नियुक्तियाँ:
हरियाणा, गोवा और लद्दाख में नए राज्यपाल और उपराज्यपाल की नियुक्ति भी इसी बदलाव की श्रृंखला का हिस्सा मानी जा रही है।
🧭 मंत्रिमंडल में क्यों हो सकता है फेरबदल?
- पुराने चेहरों की दोहराव नीति अब बदलेगी।
अब विदेश नीति, वाणिज्य और अमेरिकी संबंधों जैसी नई प्राथमिकताओं के आधार पर नई जिम्मेदारियाँ तय की जाएँगी। - राज्यसभा सांसदों का संगठन में उपयोग:
जिन नेताओं का राज्यसभा कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उन्हें पार्टी के संगठनात्मक पदों पर भेजा जा सकता है।
🤝 गठबंधन सहयोगियों को मौका?
- बिहार और दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूती देने के लिए जेडीयू, एलजेपी और टीडीपी जैसे सहयोगी दलों के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
🪑 क्या बदलेंगे बीजेपी अध्यक्ष?
- जेपी नड्डा का कार्यकाल अपने अंतिम चरण में है। पार्टी ने 37 में से आधे से अधिक राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा कर लिया है। अब जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की उम्मीद जताई जा रही है।
📌 निष्कर्ष:
मोदी सरकार और भाजपा संगठन दोनों स्तरों पर आगामी हफ्तों में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। इससे न केवल 2025 के राज्यों के विधानसभा चुनावों, बल्कि 2029 की लोकसभा चुनाव रणनीति को भी नई दिशा मिलेगी।