जून 2025 में खुदरा महंगाई 2.10% पर, 6 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंची CPI

सब्जी, दाल, दूध और अनाज जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से उपभोक्ताओं को बड़ी राहत, RBI के लक्ष्य से भी नीचे रही महंगाई

नई दिल्ली

देश में खुदरा महंगाई दर जून 2025 में घटकर 2.10% पर आ गई है, जो जनवरी 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में महंगाई दर 2.82% थी। यानी सिर्फ एक महीने में 0.72% (72 बेसिस पॉइंट्स) की तेज गिरावट दर्ज की गई है।

ये लगातार पांचवां महीना है जब महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4% के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे रही और लगातार आठवां महीना, जब यह 6% की ऊपरी सीमा से कम रही।


खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट बनी राहत का कारण

महंगाई में इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी है। सब्जी, दाल, मांस, मछली, दूध, चीनी और मसालों की कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस गिरती महंगाई से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग को काफी राहत मिली है, जो लंबे समय से लगातार बढ़ती कीमतों से जूझ रहे थे।


RBI की नीतियों का असर दिखा, लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती

महंगाई दर में गिरावट ऐसे समय में आई है जब RBI ने इस साल तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है। 50 बेसिस पॉइंट्स घटाकर रेपो रेट अब 5.5% पर पहुंच गया है। इस कदम का मकसद आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और उपभोक्ता मांग को बनाए रखना है।

आरबीआई का ताजा अनुमान:

  • Q1 (अप्रैल-जून): 2.9%
  • Q2 (जुलाई-सितंबर): 3.4%
  • Q3 (अक्टूबर-दिसंबर): 3.5%
  • Q4 (जनवरी-मार्च): 4.4%

इसके अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए CPI महंगाई औसतन 3.7% रहने का अनुमान है, जो पहले के 4% के अनुमान से कम है।


जनवरी 2019 के बाद सबसे कम CPI दर्ज

जून 2025 में दर्ज 2.10% CPI दर, जनवरी 2019 की 1.97% महंगाई दर के बाद सबसे कम रही है। पिछले साल जून 2024 में CPI 5.08% थी, जिससे तुलना करें तो एक साल में महंगाई में लगभग 3% की गिरावट आई है।


क्या होगा असर?

  • ब्याज दरों में और कटौती की संभावना बढ़ी
  • उपभोक्ता खर्च में तेजी आने की उम्मीद
  • बिजनेस कॉस्ट में राहत, विशेषकर MSMEs को
  • रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिल सकती है नई ऊर्जा

विशेषज्ञों की राय

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड बरकरार रहा तो आने वाले महीनों में आरबीआई अधिक आक्रामक मौद्रिक नीति अपना सकता है, जिससे निवेश और खपत दोनों को बढ़ावा मिलेगा।


ख़बर को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *